किसी कवि ने आज के परिवेश पर टिपण्णी करते हुए कहा है, की -
जरूरत है आज देश को भी ऐसे प्यार की ,
उजडे चमन को आज जरूरत बहार की ,
औरों की गलतियों को देखने से पेशतर -
जरूरत है पहले ख़ुद में ख़ुद सुधार की ।
सरजमीं को होगा यह ईनाम दोस्तों !
दो मादरे-वतन को तुम पयाम दोस्तों !!
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आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
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