Friday, January 23, 2009

कर्तव्य पथ पर अडिग रहना सिखाता है हमारा संविधान ....

जी हाँ ! भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैऔर हमारा संविधान भी विश्व का सबसे बड़ा है । हमारे लिए हमारा संविधान गीता है , कुरान है , बाइबिल है । इसीलिए हम विश्वास करते हैं अपने ऊपर और झूठे वादे नही करते पाकिस्तान की तरह । हमारे लिए महत्वपूर्ण है हमारे संविधान में वर्णित कर्तव्य , यही कारण है की हमारे देश को नमन करता है पूरा विश्व।
दो दिन बाद गणतंत्र दिवस है , इस दिन हम स्मरण करते हैं उन महान प्रणेताओं को जिनके प्रयास से भारतीय गणतंत्र का सपना साकार हुआ, लेकिन उससे पहले आईये एक बार फ़िर स्मरण करते हैं संविधान में शामिल मूल कर्तव्य को , जो इस प्रकार है-
() संविधान का पालन और उसके आदर्शों , संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज व् राष्ट्र गान का आदर करना ।
() स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित कराने वाले आदर्श दिल में संजोना और उन्हें जीवन में लागू करना ।
() देश की संप्रभुता , एकता और अखण्डता की रक्षा करना और उसे बनाए रखना ।
() देश की रक्षा करना और बुलाए जाने पर राष्ट्र की सेवा करना ।
() धर्म,भाषा और प्रवंध या बर्ग पर आधारित सभी भेद भाव से परे भारत के लोगों में समरसता और बंधुत्व की भावनाओं का निर्माण करना । महिलाओं के सम्मान के ख़िलाफ़ जाने वाली प्रथाओं का त्याग करना।
() हमारी सामूहिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझना और उसे बनाए रखने की कोशिश करना ।
()प्राणिमात्र के लिए दया की भावना और प्रकृति , पर्यावरण जिसके अंतर्गत झील, वन, नदी और वन्य-जीव हैं की रक्षा का संवर्धन करना ।
() मानववाद , वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन व् सुधार की भावना का विकास करना ।
() हिंसा से दूरी और सार्वजनिक संपत्ति सुरक्षित रखना ।
() सामूहिक और व्यक्तिगत गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने की लगातार कोशिश ताकि राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए कोशिश और उपलब्धि की नै ऊंचाईयां छू ले ।
() ०६ से १४ साल तक के बच्चों के माता -पिटा अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर दिलाएंगे ( २००२ में जोड़ा गया ) ।

Friday, January 9, 2009

जरूरत है पहले ख़ुद में ख़ुद सुधार की !

किसी कवि ने आज के परिवेश पर टिपण्णी करते हुए कहा है, की -

जरूरत है आज देश को भी ऐसे प्यार की ,

उजडे चमन को आज जरूरत बहार की ,

औरों की गलतियों को देखने से पेशतर -

जरूरत है पहले ख़ुद में ख़ुद सुधार की ।

सरजमीं को होगा यह ईनाम दोस्तों !

दो मादरे-वतन को तुम पयाम दोस्तों !!